सरहदों में आशिक़ी है ।
कागज़ों में ज़िन्दगी है ।।
सफर अधूरा रह गया क्यों ।
यारी हमारी टूट गयी क्यों ।।
सपने तो हमारे एक से थे ।
जश्न तो साथ मनाने थे ।।
लकीरो ने कर दिया अलग सा ।
खून से सनी एक दीवार सा ।।
परिवार तो एक हमारा ।
रिश्ते भी पुराना हमारा ।।
नफरत का नाता कैसे ।
चाकू बन्दुक ही कैसे ।।
समय आगे ही बढ़ता जाये ।
दूरियाँ भी बस बढ़ती जाये ।।
नाता ना अब रहा कुछ ।
याद भी ना बची कुछ ।।
देश अब बिखर गया ना ।
साथी भी अब बिछड़ा ना ।।
वापिस लौटा दो वो लम्हे ।
प्यार से वो बीते जो लम्हे ।।
मजबूर है वो आम लोग ।
कश्मीर के जो है सब लोग ।।
बात है सबने समझने की ।
हम सब को है अपनाने की ।।
नफरत की हो जंग ख़तम ।
जज़्बाती हर एहसास ख़तम ।।
कर ले आज हम फैसला ।
दुरी को मिटने का फैसला।।
फिर से साथ रहेंगे सब ।
ऐतबार करेंगे हम सब ।।
देश हमारा फिर एक होगा ।
मुश्किल में साथ हमारा होगा ।।